अनहद नाद
कौन सुन रहा है साधु हितकारी
छिद आकाश में हो रही है यह
मधुर मीठी मीठी वाणी
ना मैं सच
ना ये जगत् सच
सच है ये स्वयं की ध्वनि
ॐ नम: शिवाय
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Pratyabhijñāhṛdayam (प्रत्यभिज्ञा हृदयम) – Sutra 2
By the power of her own will Citi unfolds or projects the universe upon her own self. Svecchaya – i.e. by the power of her own will, not by thewill of another implies (that she Read more…
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